दुनिया की पांच सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था वाले देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) ने खुलकर आरोप लगाया है कि अमीर देशों ने पिछले पांच सालों से दुनिया को वित्तीय संकट में झोंक रखा है। उनकी मौद्रिक नीतियों ने विश्व अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर दिया है। दिल्ली में ब्रिक्स के चौथे शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषणापत्र में यह धारणाएं व्यक्त की गई हैं। घोषणापत्र में कहा गया है किऔरऔर भी

वयस्क मताधिकार में हर 18 साल के नागरिक को वोट देने का हक है। उसी तरह कंपनियों के शेयरधारकों को कंपनियों के फैसलों में वोट देने का हक होता है। फर्क इतना है कि यहां शेयरों की खास श्रेणियों में मताधिकार की स्थिति बदलती रहती है। प्रेफरेंशियल शेयर का नाम आप लोगों ने सुना ही होगा। एक अन्य तरह के शेयर होते हैं डीवीआर (डिफरेंशियल वोटिंग राइट्स) शेयर। आम शेयरों में तो हर शेयर पर एक वोटऔरऔर भी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी को निर्देश दिया कि वह 30 सितंबर तक एमसीएक्स-एसएक्स को इक्विटी ट्रेडिंग की इजाजत देने के बारे में दो टूक फैसला करे। साफ-साफ बताए कि वह इसकी इजाजत दे रही है या नहीं और नहीं तो क्यों। साथ ही कोर्ट ने एमसीएक्स-एसएक्स को भी निर्देश दिया कि वह दस दिन के भीतर अपने बोर्ड में प्रस्ताव पास करे कि एक्सचेंज में प्रवर्तकों की शेयरधारिता 5 फीसदी कीऔरऔर भी