जिंदगी में अनिश्चितता है तो बदलाव भी शाश्वत है। फिर भी हम निरंतर निश्चितता व स्थायित्व की तलाश में लगे रहते हैं। हमारी चाहत व हकीकत के बीच संघर्ष निरंतर चलता है। तभी एक दिन हम निश्चित मृत्यु तक पहुंचकर मिट जाते हैं।और भीऔर भी

जिंदगी में जितना वॉयड होता है, चाहतें उतनी लाउड होती हैं। धंधेबाज हमारे इस रीतेपन को अमानवीय होने की हद तक भुनाते हैं। उन्हें बेअसर करना है तो हमें अपना रीतापन भरना होगा, चाहतें अपने-आप सम हो जाएंगी।और भीऔर भी