इंद्र देव लगता है इस बार भी एनडीए सरकार पर मेहरबानी नहीं करने जा रहे हैं। बुधवार को मौसम विभाग की तरफ से जारी दक्षिण पश्चिम मानसून के दीर्घकालीन पूर्वानुमानों से यही संकेत मिलता है कि इस साल बारिश सामान्‍य से कुछ कम रहने की आशंका है। पिछले साल मौसम विभाग का शुरुआती अनुमान जुलाई-सितंबर के दौरान 95 प्रतिशत बारिश का था। बाद में इसे घटाकर 87 प्रतिशत किया गया। अंततः वास्तविक बारिश सामान्य की 88 प्रतिशतऔरऔर भी

दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं। न मौसम और न ही सरकार। ज़िंदगी में भी कुछ स्थाई नहीं। न सुख और न ही दुख। सब कुछ निरंतर बदलता रहता है। इसलिए जीवन में सफलता से आगे बढ़ने का एक ही तरीका है कि हम इस सच को स्वीकार कर लें।और भीऔर भी

विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम पूर्वानुमान में सटीकता लाने के लिए पूर्वानुमान प्रणाली में उत्तरोत्तर सुधार की आवश्यकता है ताकि लोगों में उस पर भरोसा कायम हो। उनको 23 मार्च को विश्व मौसम दिवस से ठीक एक दिन पहले यह बात की है। दिल्ली विश्वविद्यालय के भूगोल संकाय के प्राध्यापक डॉ आर बी सिंह कहते हैं कि हमारा मौसम पूर्वानुमान पूरी तरह विश्वसनीय और भरोसेमंद नहीं है। उन्होंने कहा कि चाहे अल्पकालिक पूर्वानुमान हो या दीर्घकालीनऔरऔर भी