संघर्ष तो एक ही है घर से लेकर दफ्तर और व्यापक समाज तक। वो यह कि जो मेहनत करते हैं, उन्हें उनका वाजिब श्रेय कैसे दिलाया जाए। घर में महिला को, फैक्टरी में कामगार को, दफ्तर में कर्मचारी को और राजनीतिक पार्टी में कार्यकर्ता को।और भीऔर भी

देश की सबसे बड़ी कार-निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के मानेसर संयंत्र में शुक्रवार शाम 4 बजे से मजदूर फिर से हड़ताल पर चले गए हैं। मजदूर यूनियन ने इसकी वजह कंपनी प्रबंधन की हठधर्मिता और वादाखिलाफी को बताया है। वहीं कंपनी प्रवक्ता ने इसका ज्यादा खुलासा नहीं किया। लेकिन इस बात की पुष्टि की कि मानेसर संयंत्र में उत्पादन पूरी तरह रोक दिया गया है। बता दें कि पिछले हफ्ते शनिवार, 1 अक्टूबर को मारुति के प्रबंधनऔरऔर भी

जापान का परमाणु संकट हाथ से बाहर निकलता दिख रहा है। लगातार धमाकों का शिकार हुए फुकुशिमा परमाणु बिजली संयंत्र के आसपास रेडियोएक्टिव विकिरण का स्तर बढ़ जाने के कारण बुधवार को वहां हालत को संभालने में लगे मजदूरों को भी बाहर निकालना पड़ा। यहां तक कि रिएक्टर संख्या-तीन पर हेलिकॉप्टर से पानी गिराना भी संभव नहीं हो सका। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार बुधवार की सुबह फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के रिएक्टर संख्या-चार में आग लग गई।औरऔर भी

देश में कुल श्रमिकों की संख्या करीब 40 करोड़ है। इसका 91% हिस्सा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का है और केवल 3.5 करोड़ के आसपास मजदूर ही संगठित क्षेत्र में काम करते हैं। संगठित क्षेत्र के मजदूर भी विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से जुड़ी करीब 15 ट्रेड यूनियनों में बंटे हैं। सरकार से बातचीत करने के लिए इनका कोई शीर्ष निकाय नहीं है, जबकि अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड, जापान और यहां तक कि पाकिस्तान में भी ट्रेड यूनियनोंऔरऔर भी