जिस तरह लोकतंत्र में हर शख्स को बराबर माना गया है, माना जाता है कि कानून व समाज की निगाह में हर कोई समान है, उसी तरह सुसंगत बाजार के लिए जरूरी है कि उसमें हर भागीदार बराबर की हैसियत से उतरे। यहां किसी का एकाधिकार नहीं चलता। इसलिए एकाधिकार के खिलाफ कायदे-कानून बने हुए हैं। लोकतंत्र और बाजार के बीच अभिन्न रिश्ता है। लेकिन अपने यहां लोकतंत्र और बाजार की क्या स्थिति है, हम अच्छी तरहऔरऔर भी

कृषि व सम्‍बद्ध क्षेत्रों में सकल पूंजी निर्माण 2004-05 में सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) का 13.1 फीसदी था, जबकि वित्त वर्ष 2010-11 तक यह बढ़कर 20.1 फीसदी हो गया है। कृषि व सम्‍बद्ध क्षेत्र मार्च 2012 में खत्म हो रही 11वीं योजना के दौरान 3.5 फीसदी की अनुमानित दर से बढ़ा है, जबकि 10वीं और 9वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान विकास की दर क्रमशः 2.4 फीसदी और 2.5 फीसदी थी। यह आंकड़े हमारे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनऔरऔर भी