बहुत कम लोग हैं जिन पर देश-दुनिया का फर्क पड़ता है। इनमें से भी ज्यादातर लोग भावना में बहकर पूरा सच नहीं देख पाते, गुमराह हो जाते हैं। स्वार्थ में धंसे दुनियादार लोग उन पर हंसते है, तरस खाते हैं।और भीऔर भी

मैं नहीं, तू सही। तू नहीं, कोई और सही। सांसारिक सुख तो मैं किसी भी नाम में, किसी भी शरीर में घुस कर हासिल कर सकता हूं। लेकिन अंदर का सुख मेरा अपना है जिसे मैं चाह कर भी बांट नहीं सकता।और भीऔर भी

प्रतिभा को साहस और बहादुरी का साथ न मिले तो वह कभी खिल ही नहीं सकती। डर-डर कर जीनेवाला दुनियादार हो सकता है, प्रतिभाशाली नहीं। प्रतिभा तो हमेशा लीक से हटकर, खांचे को तोड़कर चलती है।और भीऔर भी