सेल्समैन के लिए फेंकना ज़रूरी होता है। धंधा चलाने के लिए उसे ऐसी बातों तक का दावा करना पड़ता है जो उसके वश में नहीं हैं। लेकिन धंधे के गुण अगर उसके आंतरिक स्वभाव का हिस्सा बन गए तो वह सफल ट्रेडर नहीं बन सकता। कारण, ट्रेडिंग में सफलता के लिए रिस्क लेते वक्त शांत रहना और सोच-समझकर फैसला करना पड़ता है। यहां बड़बोड़ापन या अतिविश्वास आपको घाटे में डुबो सकता है। पकड़ें अब सोमवार की नब्ज़…औरऔर भी

ट्रेडिंग तो हर कोई पैसे बनाने के लिए करता है। लेकिन कुछ लोगों का ज्यादा ध्यान इस बात रहता है कि बाज़ार की चालढाल को अच्छी तरह समझकर बेहतर ट्रेडर कैसे बना जाए। वे दूसरों से मिली हर टिप या जानकारी को खुद परखते हैं और अपने व्यक्तित्व के अनुरूप ट्रेडिंग सिस्टम विकसित करते हैं। घाटा खाने पर सिर नहीं धुनते, बल्कि इसकी वजह समझकर कमियां दूर करते हैं। अब बढ़ते हैं मंगलवार की ट्रेडिंग की ओर…औरऔर भी

घरेलू अर्थव्यवस्था से अच्छी खबरें आ रही हैं। पहले थोक और रिटेल मुद्रास्फीति जून में घट गई। अब देश का निर्यात जून में 10.22% बढ़ गया। इससे पहले अप्रैल में निर्यात 5.26% और मई में 12.4% बढ़ा था। लेकिन बाहर की खराब खबर यह है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की प्रमुख ने कहा है कि रोज़गार की स्थिति सुधरती रही तो वहां ब्याज दरें बढ़ सकती हैं। इससे एफआईआई वापस जा सकते हैं। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

जूडो-कराटे ही नहीं, गीता तक में भगवान श्रीकृष्ण ने स्थितप्रज्ञ होने की सलाह दी है। ट्रेडिंग में भी कहते हैं कि अपनी भावनाओं को वश में रखो, उन्हें ट्रेडिंग पर कतई हावी मत होने दो। ऐसा करना ज़रूरी है। लेकिन क्या कामयाबी के लिए इतना पर्याप्त है? आप ही नहीं, दुनिया भर के ट्रेडरों का अनुभव इसका जवाब नहीं में देगा। दरअसल, बाज़ार शक्तियों की पूरी मैपिंग आपके दिमाग में होनी चाहिए। पकड़ते हैं मंगलवार का ट्रेड…औरऔर भी

आप चाहें तो सर्वे करके देख सकते हैं कि जो लोग ट्रेडिंग में टिप्स के पीछे भागते हैं, वे मरीचिका के चक्कर में भागते हिरण की तरह ताज़िंदगी प्यासे रह जाते हैं। लंबे निवेश में यकीनन रिसर्च आधारित सलाह काम करती है। लेकिन ट्रेडिंग में घुसने, निकलने, घाटा खाने और पूंजी बचाने व बढ़ाने का सिस्टम बनाकर अनुशासन का पालन न किया, लालच व डर को हावी होने दिया तो कमाई मुमकिन नहीं। अब बुधवार की ट्रेडिंग…औरऔर भी

मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है। हाथ लगाओ, डर जाएगी। बाहर निकालो, मर जाएगी। बचपन में सुनी-बोली गई ये पंक्तियां आपको याद होंगी। ट्रेडिंग में कमाई हमारे हाथ से ऐसे ही छटकती रहती है। दुनिया भर में बहुतेरे लोगबाग तो इससे कमा ही रहे हैं! फिर आखिर हम ही क्यों चूक रहे हैं? कहां हो रही है हमसे भूल-गलती? कौन-से गुर हमारे पास नहीं हैं? सोचिएगा तो मिल जाएगा जबाव। अब हफ्ते का आगाज़…औरऔर भी

न्यूनतम रिटर्न में अधिकतम रिटर्न पाने की ट्रेडिंग रणनीति कहती है कि जिस दिन न्यूज़ हो, नतीजे हों, उस दिन शेयर को हाथ न लगाएं। पर कल हमने जान-बूझकर यह नियम तोड़ते हुए नतीजे के दिन एबीबी में खरीद की सलाह दी। सात दिन में 9.96% संभावित रिटर्न की बात थी। लेकिन यह तो एक ही दिन में 12.80% उछल गया! ज्यादा रिस्क, ज्यादा फायदा। लेकिन बूंद-बूंद कमाने की नीति ज्यादा सही है। अब बुधवार की बौद्ध-बुद्धि…औरऔर भी

न तो दुनिया और न ही शेयर बाज़ार हमारी सदिच्छा से चलता है। लेकिन हम अपनी इच्छाएं थोपने से बाज नहीं आते। सोच लिया कि फलानां शेयर बढेगा तो दूसरों से इसकी पुष्टि चाहते हैं। वही टेक्निकल इंडीकेटर पकड़ते हैं जो हमारी धारणा को सही ठहराते हों। कोई इंडीकेटर उल्टा संकेत देता है तो हम उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं। ध्यान दें, भाव इंडीकेटर के पीछे नहीं, इंडीकेटर भाव के पीछे चलते हैं। अब वार मंगलवार का…औरऔर भी

विचार और विश्वास धीरे-धीरे हमारी आदत का हिस्सा बन जाते हैं। फिर इन्हीं के चश्मे से हम सच को देखने लगते हैं और वो टेढ़ामेढ़ा हो जाता है। विकृत सच हमें गलत एक्शन को उकसाता है। हम हारने और खीझने लगते हैं। लेकिन आदत की ताकत हासिल कर चुके विचारों को बदला जा सकता है। इसका अचूक तरीका है अभ्यास। गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं अभ्यासेन कौन्तेय। अभ्यास को आगे बढ़ाते हुए डालते हैं आज पर नज़र…औरऔर भी

कहावत है कि खुद मरे बिना स्वर्ग नहीं मिलता। उसी तरह खुद बाज़ार की थाह लिए बगैर कोई इससे नोट नहीं बना सकता। तो! ट्रेडर को बाज़ार की थाह लेने पर कितना वक्त लगाना चाहिए? बात डे-ट्रेडिंग नहीं, बल्कि पोजिशन ट्रेड की। नया ट्रेडर तो बुनियादी बातें सीखने पर जितना वक्त लगाए, उतना कम। जो इतना सीख चुका है, उसे रोज़ाना कम-से-कम दो घंटे बाज़ार के विश्लेषण और होमवर्क पर लगाने चाहिए। अब देखें बाज़ार की दशा-दिशा…औरऔर भी