आ गए वापस पोजिशन के खेल पर

धीरे-धीरे बजट की कलई उतर रही है और सारी दुनिया को समझ में आ रहा है कि वो कितना और क्यों बुरा है। बजट में सबसे खतरनाक प्रावधान जीएएआर (जनरल एंटी एवॉयडेंस रूल) का है जो कहीं न कहीं मानकर चलता है कि हर करदाता करचोर है और इसलिए उसे सज़ा दी जानी चाहिए। आयकर विभाग को फिलहाल जिस तरह की अंधाधुंध सत्ता मिली हुई है, उसमें लोगों को खामखां परेशान करने और भ्रष्टाचार के मामले इससे और बढ़ जाएंगे।

मकान और जेवरात के बेचने पर टीडीएस काटने का प्रावधान कैश में हो रहे सौदों को बढ़ा देगा। लगता है कि विभाग चाहता है कि ऐसा हो ताकि वो और छापे डाल सकें, और कमाई कर सकें। आप उन आम लोगों पर कैसे टीडीएस लगा सकते हैं जो अपना मकान खरीदते या बेचते हैं और धारा-54 में मिली छूट के चलते कर-दायरे में नहीं आते? कृपया ध्यान दें कि 70 फीसदी सौदे पुराना मकान बेचकर नया खरीदने के होते हैं और बिक्री से मिली सारी रकम नए के खरीदने में लग रही हो तो इन सौदों को धारा-54 के तहत कर-मुक्ति मिली हुई है। इसमें टीडीएस के प्रावधान को डालना सारे कर-मुक्त सौदों को टीडीएस के जाल में ले आएगा और लोगों को टीडीएस का दावा करने के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना पड़ेगा। यह बेहद अपमानजनक है।

इसी तरह सारे ज्वैलर्स को इस हालत में डाल दिया गया है कि टीडीएस के बचने के लिए वे या तो चेक से भुगतान बंद कर दें या सारे सौदे दो लाख रुपए से नीचे के करें। सरकार आखिर इन नौकरशाही प्रावधानों के जरिए क्या हासिल करना चाहती है जो मानकर चलते हैं कि सभी करदाता करचोर हैं? आयकर अधिकारी अब लोगों को परेशान करेंगे और मुकदमेबाजी बढ़ जाएगी। तीन महीने से पहले आयकर का मामूली से मामूली भी नहीं सुलझता।

वैसे भी आयकर विभाग अवैध किस्म के एसेसमेंट करने के लिए कुख्यात है। जैसे, वह महज करवसूली की डिमांड उठाने के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स को बिजनेस इनकम बताकर टैक्स लगाता है क्योंकि इन मामलों में डिमांड का 50 फीसदी दिए बगैर आपकी अपील स्वीकार नहीं की जाती। बहुत से करदाता आयकर विभाग से इतना डरते हैं कि मांगा गया 50 फीसदी टैक्स फौरन दे देते हैं। यहां तक कि उनके सीए भी विभाग से किसी किस्म का पंगा लेने से बचते हैं।

हालांकि, आप आयकर अपीलीय ट्राइब्यूनल (आईटीएटी) से शिकायत कर सकते हैं कि आप से नाजायज टैक्स मांगा जा रहा है और आप इसे दे नहीं सकते। लेकिन यह भी मुकदमेबाजी का चक्कर हुआ। वित्त मंत्री इसमें आयकर अधिकारी पर जिम्मेदारी क्यों नहीं डाल रहे? अगर ट्राइब्यूनल में वह हारता है तो उससे गलत टैक्स डिमांड की 10 फीसदी पेनाल्टी ली जानी चाहिए। हाल ही में हाईकोर्ट ने फालतू अपील दाखिल करने के लिए आयकर विभाग पर एक लाख की पेनाल्टी लगाई है।

खैर, बजट बुरा है। यह बात अब हर कोई मोटामोटी जान गया है। बाजार के लोग निफ्टी के 5600 तक पहुंचने की उम्मीद के साथ लांग हुए पड़े थे। इसलिए करेक्शन का आना लाजिमी था। बजट अच्छा होता, तब भी ऐसा होना था। लेकिन जैसा कि मैं आपसे कह चुका हूं कि चूंकि बाजार ओवरसोल्ड अवस्था में पहुंच गया है, इसलिए अब हमें लांग सौदों में उतर जाना चाहिए। फिर भी कुछ स्टॉक्स अब भी नकारात्मक रुख दिखा रहे हैं क्योंकि उनमें लांग सौदों को पूरी तरह काटा नहीं गया है।

इस तरह हम पोजिशन के खेल पर वापस आ गए हैं। बाजार 5650 से गिरकर 5258 पर आ चुका है और आनेवाले दिनों में इसमें और गिरावट आ सकती है।. आज भी सवा बजे के आसपास निफ्टी नीचे में 5233.25 तक जाने के बाद पलटकर उठा है। आखिर में कल से 0.34 फीसदी बढ़त लेकर 5274.85 पर बंद हुआ। निफ्टी फ्यूचर्स का आखिर भाव आज 5289.10 रहा।

किंगफिशर एयरलाइंस को सरकार ने बुलाया है, लेकिन एयर इंडिया का क्या हुआ? क्या आप ऐसा दोहरा मानदंड अपना सकते हैं? कहीं किंगफिशर को परेशान कर धंधा बेचने पर मजबूर तो नहीं किया जा रहा? आपके लिए यह मसला सोचने का मसाला समझकर छोड़े जा रहा हूं…

जब बिजनेस में दो लोग हमेशा सहमत होने लगते हैं, तब उनमें से एक गैरजरूरी हो जाता है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलतः सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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