नस-नस में नशा व अस्थिरता क्यों!

बड़ी जटिल सोच और संरचना है बाज़ार की। औदयोगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के फरवरी के आंकड़े तो खराब ही रहे। मात्र 4.1 फीसदी औद्योगिक उत्पादन बढ़ा है फरवरी में। लेकिन इससे भी बड़ा सदमा यह था कि जनवरी में आईआईपी में 6.8 फीसदी बढ़त के जिस आंकड़े को लेकर खुशियां मनाई गई थीं, वह झूठा निकला। अब सीएसओ (केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय) का कहना है कि चीनी उद्योग ने जनवरी के बजाय नवंबर से जनवरी तक के आंकड़े दे दिए थे तो हड़बड़ी में गड़बड़ी हो गई।

फिर भी, औद्योगिक विकास के कमजोर और गलत आंकड़ों के बावजूद बाजार बढ़ गया। सेंसेक्स 133.22 अंक (0.77%) बढ़कर 17,332.62 और निफ्टी 50 अंक (0.96%) बढ़कर 5276.85 पर बंद हुआ। अप्रैल के निफ्टी फ्यूचर्स का आखिरी भाव 5283.10 का रहा। कहा जा रहा है कि आईआईपी के खराब आंकड़ों की परवाह बाजार ने इसलिए नहीं की क्योंकि उसे अगले हफ्ते रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कटौती का भरोसा हो चला है।

दिक्कत यह है कि जहां 80 फीसदी वोल्यूम ऑप्शंस से आता हो, वहां खरीद-बिक्री के असली संतुलन का पता ही नहीं चल पाता। नहीं साफ होता कि सचमुच बाजार कल को देखकर चल रहा है या उसके साथ कोई जोर-जबदस्ती हो रही है। कैश बाजार के आंकड़े अपने-आप में ज्यादा कुछ नहीं कहते। वैसे, आज एफआईआई की शुद्ध खरीद 135.98 करोड़ रुपए और डीआईआई की शुद्ध खरीद 237.40 करोड़ रुपए की रही है।

बाजार की यह अस्थिरता भी नहीं समझ में आती कि कल विदेशी एयरलाइंस को घरेलू उद्योग में छूट के आसार के बीच जेट एयरवेज से लेकर स्पाइसजेट और किंगफिशर एयरलाइंस के जो शेयर उछल गए थे, वे कैंबिनेट बैठक के अगले हफ्ते टलने से कैसे क्रमशः 2.78 फीसदी, 1.90 फीसदी और 2.52 फीसदी लुढ़क गए। जिस चीनी उद्योग के गलत आंकड़ों ने जनवरी में आईआईपी को चढ़ाया था, उसके शेयर अचानक उछलने लगे हैं। बलरामपुर चीनी मिल्स 3.27 फीसदी, बजाज हिंदुस्तान 3.24 फीसदी और श्री रेणुका शुगर्स 6.08 फीसदी बढ़ गया। यही नहीं, विदेशी ब्रोकरेज हाउस सीएलएसए ने तो श्री रेणुका शुगर्स के 45 रुपए पर पहुंचने का लक्ष्य घोषित किया है। अभी यह 33.15 रुपए पर चल रहा है।

कल इनफोसिस के नतीजे आने हैं। माना जा रहा है कि कंपनी बाजार को चौंका सकती है। वो नए वित्त वर्ष 2012-13 में आय के 13 फीसदी के बजाय 16 फीसदी बढ़ने का अनुमान पेश कर सकती है। लेकिन आज सुबह-सुबह 2839.90 रुपए तक जाने के बाद इसका शेयर 1.87 फीसदी की गिरावट के साथ 2750.05 रुपए पर आ गया। बताते हैं कि इनफोसिस ही नहीं, टीसीएस को भी यहां से उठाने का इरादा है। वैसे भी जनवरी से लेकर अब तक सेंसेक्स 11.69 फीसदी बढ़ चुका है, जबकि इसी दौरान इनफोसिस 1.96 फीसदी और टीसीएस 3.98 फीसदी गिर चुका है।

दिक्कत यह है कि बाजार का स्वभाव इतना क्षणिक और अस्थिर है कि यहां दोनों तरफ की बातें कर ली जाती हैं। जैसे कहा जा रहा है कि अगले हफ्ते मंगलवार को रिजर्व बैंक ब्याज दरों में चौथाई फीसदी की कमी तो कर ही देगा। फिर भी बाजार गिर गया तो इसके लिए तर्क अभी से तैयार है कि ब्याज दरों में कमी के साथ-साथ सीआरआर में भी कमी जरूरी है। अगर दोनों चीजें एक साथ नहीं हुईं तो बाजार दुखी हो जाएगा। कोई इन्हें यह तो बताए कि जनवरी से लेकर रिजर्व बैंक अब तक सीआरआर को 1.25 फीसदी घटाकर 4.75 फीसदी पर ला चुका है और इस तरह सिस्टम में करीब 80,000 करोड़ रुपए की तरलता डाल चुका है, जिससे बैंकों का रिजर्व बैंक से फौरी उधार लेना भी घट चुका है, ऐसे में वह सीआरआर न घटाए तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा!

एचएसबीसी इंडिया के ब्याज दर के प्रमुख व प्रबंध निदेशक मनीष वाधवान कहते हैं, “16 मार्च की मध्य-तिमाही नीति के बाद से अब तक खास कुछ नहीं बदला है। हां, सकारात्मक बात यह हुई है कि कच्चे तेल के दाम 120 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आकर टिक गए हैं और धातुओं की कीमतें नहीं बढ़ी हैं। ऐसे में रिजर्व बैंक अगर ब्याज दर और सीआरआर, दोनों में कमी करता है तो इसका कुछ सकारात्मक असर पड़ सकता है और दस साल के सरकारी बांडों पर यील्ड की दर घटकर 8.35 फीसदी पर आ जाएगी।” लेकिन सरकार की भारी उधारी के चलते यह स्थिति ज्यादा वक्त तक नहीं रहेगी।

विद्वानों की बातें विद्वान और बाजार ही जाने। कल कुछ ऑपरेटरों ने तलवरकर्स बेटर वैल्यू फिटनेस के बारे में अफवाह उड़ाई थी कि सहारा इंडिया इसमें 20 फीसदी हिस्सेदारी खरीद रहा है। यह सौदा 220-235 रुपए के मूल्य पर हो सकता है। कहा गया कि इसमें अच्छे वोल्यूम के साथ ब्रेकआउट आ चुका है और यहां से यह शेयर 30 फीसदी बढ़ सकता है। इस चक्कर में कल यह 6 फीसदी तक उछल गया था। आज भी सुबह यह बढ़कर खुला। लेकिन शाम होते-होते 4.22 फीसदी लुढ़ककर 166.80 रुपए पर पहुंच गया। बहुत साफ-सी बात है कि हमें कतई इस तरह की अफवाहों को रत्ती भर भी तवज्जो नहीं देनी चाहिए और हमेशा ठोस कारकों की तलाश में लगे रहना चाहिए।

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