यूं ताश के पत्तों की तरह ढहा क्यों?

डेरिवेटिव सौदों में कैश सेटलमेंट के चलते बाजार कैसे हिल जाता है, इसके लिए मुझे नहीं लगता कि आपको अब किसी और प्रमाण की जरूरत है। जो बाजार पिछले सेटलमेंट में ज़रा-सा झुकने को तैयार नहीं था, वह नए सेटलमेंट के दूसरे ही दिन ताश के पत्तों की तरह ढह गया। निफ्टी गिरने लगा तो गिरते-गिरते अंत में 2.26 फीसदी की गिरावट के साथ 5087.30 पर बंद हुआ। यूं तो अभी और भी बहुत कुछ होना है। लेकिन शुक्र है कि निफ्टी 5035 के मेरे लक्ष्य से नीचे नहीं गया। अगर वो इस स्तर को तोड़ देता है तब 4920 तक भी गिर सकता है।

टाटा स्टील और भारती एयरटेल जैसे जो स्टॉक्स बिना किसी वजह के जनवरी सेटलमेंट में बढ़ गए थे, वे अब गिरना शुरू हो गए हैं। टाटा स्टील आज 3.55 फीसदी गिर गया, जबकि भारती एयरटेल 4.54 फीसदी है। हम बारम्बार आपको बताते रहे हैं कि इसका फंडामेंटल से कोई लेनादेना नहीं है, बल्कि इस करेक्शन या गिरावट की वजह कैश सेटलमेंट की व्यवस्था में छिपी है। अपने यहां ‘सबसे बड़ा रुपैया’ का खेल चलता है। शातिर ऑपरेटर व एफआईआई मिलकर इस व्यवस्था का फायदा उठाते हैं, जबकि रिटेल निवेशक, एचएनआई व कुछ एफआईआई तक उनके शिकार बनते हैं।

यहां बेचनेवाला तय करके बैठा रहता है कि खास भाव तक वह बेचेगा ही नहीं। इससे अपने आप किसी स्टॉक के भाव चढ़ने लगते हैं। इस दरमियान होनेवाली घोषणाओं व ट्रिगर का इस्तेमाल शेयर को चढ़ाने में किया जाता है। फिर सेटलमेंट के अंत में सच्चे निवेशकों की गरदन पर चढ़कर 30 से 70 फीसदी तक का अंतर वसूल लिया जाता है। जनवरी सेटलमेंट में 5.2 करोड़ पुट ऑप्शन (बेचने से संबंधित) और 1.77 करोड़ कॉल ऑप्शन (खरीदने से संबंधित) मर जाने दिए गए। इसके विपरीत फ्यूचर्स में ओपन इंटरेस्ट कभी भी 32,000 करोड़ रुपए के पार नहीं जाता। ये आंकड़े अपने-आप में बहुत कुछ कह देते हैं। ट्रेडरों द्वारा पुट व कॉल ऑप्शन पर अंडरराइट किया गया प्रीमियम तो ज़ीरो हो जाता है, जबकि अंडरराइटरों की कमाई हो जाती है।

खैर, बजट अगले 40 दिनों में आना है। सरकार इस बजट में कोई प्रोत्साहन देने की स्थिति में नहीं है। हां, खबरों के मुताबिक कमोडिटी सौदों पर एसटीटी (सिक्यूरिटीज टांजैक्शन टैक्स) लगाने और इक्विटी शेयर पर घटाने पर विचार किया जा रहा है। हमारा मानना है कि बजट या उसके आसपास बढ़ने से पहले बाजार फरवरी में 5 से 7 फीसदी गिर सकता है। हां, कोई भी गिरावट अगले कुछ सालों तक निफ्टी को 4530 के नीचे नहीं ले जा सकती। फिलहाल बाजार में करेक्शन जरूरी है। अगर यह बिना किसी करेक्शन के 5400 तक चला गया तो तेजी का दौर आने की धारणा ही छोड़ देनी पड़ेगी। दूसरी तरफ निफ्टी में 300 से 350 अंकों की गिरावट आ गई तो उसके 6400 तक पहुंचने की भड़क खुल जाएगी।

यह मेरी पक्की राय है और मैं इसे तब तक बदलने को राज़ी नहीं हूं, जब तक बाजार 4530 से नीचे की कोई तलहटी नहीं पकड़ लेता और पिछले सेटलमेंट के रोल हुए सारे लांग सौदे व नए सेटलमेंट के पहले दिन जबरदस्त ऊंची दरों पर हुए लांग सौदे परेशान होकर काट नहीं लिये जाते। हालांकि लांग पोजिशन वाले दो-चार स्टॉक्स में स्टॉप लॉस लग सकता है, फिर भी हम अब भी तेजी की धारणा रखते हैं और गिरने पर खरीदने की सलाह देते हैं।

बीते शुक्रवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने रायता फैला दिया। आज भी वो 2.71 फीसदी गिर गया। वह निफ्टी को अब भी नीचे-नीचे खींचता रहेगा। एसबीआई, बीएचईएल व सेल इस गिरावट को और बढ़ा देंगे। हां, इसके बावजूद आशा की एक जबरदस्त किरण है। यह सेटलमेंट भी तेजड़ियों को एक मौका देगा। ऐसा कब होगा और आपको किस लक्ष्य के साथ लांग पोजिशन पकड़नी चाहिए, इसे जानने के लिए आपको इंतज़ार करना पड़ेगा।

झूठ हमें कभी सच तक नहीं पहुंचने देते। लेकिन पूर्वाग्रह झूठ से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं क्योंकि वे हमें झूठे सच के भ्रम में बांध देते हैं और सच तक पहुंचने की सारी राहें हम खुद ही बंद कर देते हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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